लोक शिकायत निदेशालय :
लोक शिकायत अनुभाग- 3 व 4 द्वारा निदेशालय में सुनवाई से सम्बन्धित
कार्य व्यवहृत किया जाता है। मुख्य मंत्री कार्यालय के प्रमुख सचिव/
सचिव निदेशालय के पदेन निदेशक होते है तथा विशेष सचिव पदेन अपर निदेशक
होते है। प्रदेश स्तर पर प्राप्त होने वाली लोक शिकायतों के निस्तारण के लिये
मुख्य मंत्री सचिवालय के अधीन एक उच्चाधिकार प्राप्त लोक शिकायत निदेशालय
गठित है। इस निदेशालय द्वारा विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त होने वाली
गम्भीर प्रकृति की शिकायतों जिनमें अन्याय/एवं शोषण निहित है, का
सूक्ष्मरूप से परीक्षण कराकर लोक शिकायत निदेशालय में दर्ज करके शिकायत
का पूर्ण समाधान होने तक अनुश्रवण किया जाता है। आवश्यकतानुसार उत्तरदायी
अधिकारी को साक्ष्य के लिये निदेशालय में बुलाकर शिकायत का निराकरण
सुनिश्चित किया जाता है। निदेशालय के मुख्य कार्य निम्नवत है :-
- निदेशालय शिकायतकर्ता की प्रमाणिकताओं के बारें में यथा संभव
संतुष्ट होने और शिकायत की विषय सामग्री के महत्व को ध्यान में रखने के
पश्चात ही इस प्रयोजन के लिये निर्धारित मानदण्डों के अनुसार शिकायतों पर
विचार करेगा।
- जांच करने एवं निर्णय लेने हेतु निदेशालय द्वारा सम्बन्धित विभागों,
परिक्षेत्रीय कार्यालयों आदि से सम्बन्धित पत्रावलियां आवश्यकता पड़ने पर
सीधे ही मांगी जाया करेंगी। यथा आवश्यकता आख्यायें भी प्राप्त की जाया
करेंगी। निदेशालय जब भी सीधे विभागाध्यक्षों आदि को सम्बोधित करेंगे तो
विभागीय सचिव को भी अवगत रखेंगे। निदेशालय के उपरोक्त सम्बोधित निर्देशों
का पालन हर हालत में सुनिश्चित किया जाना आवश्यक समझा जाय।
(2) (ए) प्राप्त शिकायतों की जांच के समय निदेशालय द्वारा यह देखा
जायेगा कि मामले विशेष को निपटाने में ईमानदारी तथा निष्पक्षता से काम
लिया गया है और क्या निर्णय न्यायपूर्ण ढंग से किया गया है। यह भी देखा
जायेगा कि क्या शिकायतकर्ता को सम्बन्धित निर्णय के सम्बन्ध में कारणों
सहित अवगत करा दिया गया है।
- किसी भी शिकायत के सम्बन्ध में परीक्षणोपरान्त संतुष्टि होने पर
निदेशालय में महत्वपूर्ण मामलों में उच्चतम स्तर पर निर्णय लिया जायेगा।
यह निर्णय मुख्य मंत्री जी के स्तर पर लिये जाने का प्राविधान है। इस
दृष्टि से यह नितान्त आवश्यक है कि निदेशालय द्वारा लिये गये निर्णय की
सूचना मिलने पर निर्णय के अनुरूप कार्यवाही तत्परतापूर्वक कर ली जाय।
निर्णीत मामलों को मुख्य मंत्री जी को पुन: विचार हेतु संदर्भित करना
साधारणतया आवश्यक नहीं होना चाहिए।
(3) (ए) यदि निदेशालय में प्राप्त शिकायत ऐसी प्रकृति की है कि उसकी
जांच आदि हेतु एक से अधिक विभाग से सम्पर्क करना आवश्यक है तो ऐसी स्थिति
में निदेशालय द्वारा सम्बन्धित विभागीय सचिवों अथवा विभागाध्यक्षों की एक
कमेटी गठित की जायेगी और निदेशालय द्वारा ऐसे मामलों में उक्त कमेटी
द्वारा की गयी संस्तुति के आधार पर निर्णय लिये जाया करेंगे। ऐसे मामलों
से भी सम्बन्धित विभागों को निदेशालय द्वारा लिये गये अंतिम निर्णय से
अवगत करा दिया जायेगा और उन्ही निर्णयों के अनुरूप तत्काल कार्यवाही
सुनिश्चित की जानी होगी।
- लोक शिकायत विभाग से तथा सीधे प्राप्त सभी शिकायतों का निदेशालय
द्वारा गहन परीक्षण किया जायेगा और आवश्यकतानुसार मौके पर जाकर जांच की
जा सकती है। मौके की जांच साधारणतया विभागीय अधिकारियों की मौजूदगी में
ही की जाया करेंगी और इस सम्बन्ध में निदेशालय से उचित निर्देश जारी किये
जाया करेंगे।
- यदि सार्वजनिक शिकायतों के निराकरण में विलम्ब या निष्क्रियता
परिलक्षित होती है और किसी विशिष्ट मामले में किसी अधिकारी का गम्भीर दोष
पाया जाता है तो इस सम्बन्ध में भी निदेशालय समुचित सिफारिश करेगा।
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